1947 में जब देश आजाद हुआ तो कुर्मी समाज (पटेल समाज) को सरकारी कर्मचारीयों, पदाधिकारियों, व्याख्याओ आदि के लिए कोई मंच नही था | सरकारी कर्मचारी संगठनों में इस जाती में इस जाती को कहीं कोई अस्तित्व नही था | फलतः पटेल समाज के लोग अपने को कार्यालायों में अपनी जाती बताने में हिचकते थे | 1970 के दशक में सरकार में कृषि ग्रेजुएट, अभियंत्र ग्रेजुएट, पशु चिकित्सक एवं डॉक्टरों की संख्या के साथ मिनिस्ट्रल पदो पर काम करने वालो की संख्या बढ़ने लगी | परन्तु शाखा भेद के दोनों कारण आपस में कोई सामंजस्य नहीं था | दूर – दराज के पटेल भाइयों जो सरकारी – गैर सरकारी, अवकाश प्राप्त लोगों ने अपने समाज के एक जुट होकर आपसी सामंजस बढ़ाने, समस्याओं के निराकरण के लिए संघ का गठन के लिए निर्णय किया एवं वर्ष 72वें प्रो पी दयाल प्राचार्या पटना कॉलेज एवं मेनेजर प्रसाद सिंह के नेतृत्व में पटेल सेवा संघ बिहार का निर्माण किया और इसका निबंधन महानिरीक्षक बिहार से प्राप्त किया जिसका निबंधन संख्या-50/72-73 है | पटेल सेवा संघ के निबंधन में गंगाधर मंडल जो प्रयुक्त बिहार के पद से अवकाश ग्रहण करने का योगदान सराहनीय रहा |
पटेल सेवा संघ के निबंधन से सारे बिहार के कुर्मी समाज (पटेल समाज) गौरवान्वित होने के साथ – साथ अपने को कुर्मी कहने में गर्व महसूस करने लगे | उस समय इस संघ को मुस्लाह्पुर हाट स्थित कार्यलय था | रजिस्ट्रेशन दिन से ही संघ की गतिविधिया चलने लगी | हर साल चुनावी लोकतांत्रिक तरीके से होने लगा | 15 अगस्त, 26 जनवरी राष्ट्रीय ध्वजारोहण एवं सरदार पटेल की जयंती मनायी जाने लगी |
संघ अपने गतिविधियों को जिवंत रखते हुए सरकार से जमीन की मांग की | फलतः माननीय विन्देश्वरी-दुबे तत्कालीन मुख्यमंत्री “सलामी पदों” पर ट्रस्टी को जिसमें मा0 सिधेश्वर प्रसाद, मा0 सदानन्दं सिन्हा एवं मैनेजर प्रसाद सिंह को (ट्रस्ट के नाम) के जमीन सलामी पटटे पर आवहित किया | एवं आवंटन के बाद पटेल समाज अपने वर्ग तबसे 1972 से अबतक संघ की गतिविधिया चल रही हैं स्थापना – काल से कुर्मी समाज (पटेल समाज) आप सी भेदभाव को त्याग करते हुए सरकार पटेल को आदर्श मानकर उनकी जयंती मानाने आ रही है |